[2022] अंतरिक्ष पर निबंध |Essay on Space in hindi

अगर आप अंतरिक्ष पर निबंध लिखना चाहते हैं? तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं। हमने अपने इस लेख essay on space in hindi में पूरी जानकारी दे कर रखी है। तो चलिए शुरू करते हैं।

मित्रों हमारा ब्रह्मांड बहुत सारी अनसुलझी घटनाओं का साक्ष्य है तथा इस ब्रह्मांड ने बहुत सी ऐसी घटनाएं देखी है जिसके बारे में हमें कुछ भी नहीं पता है। हमारे ब्रह्मांड में बहुत से ऐसे तत्व हैं जिनके बारे में हो सकता है हमें पता लगाने में कई हजार वर्ष और लग जाए, लेकिन हमारा ब्रह्मांड अंतरिक्ष में बसा हुआ है।

प्रस्तावना एवं उपसंहार सहित अंतरिक्ष पर निबंध

प्रस्तावना

अंतरिक्ष अनंत और विशाल है यह पूर्ण अंधकार से भरा हुआ है, जिसमें कुछ प्रकाशमान तत्व विद्यमान है, जिसके कारण हम ग्रहों को देख पा रहे हैं, और तारों को समझ पा रहे हैं इस अंधकार में छोटी सी उजाले की किरण भी बहुत बड़ी चमकती हुई दिखाई देती है।

अंतरिक्ष पर निबंध
अंतरिक्ष पर निबंध

एक पृथ्वी वासी के लिए सूर्य सबसे बड़ा प्रकाश का स्रोत है और इससे बड़ा प्रकाश का कोई स्रोत सौरमंडल में उपस्थित नहीं है, लेकिन इस ब्रह्मांड में जिसे हम अंतरिक्ष का हिस्सा भी कहते हैं, अनंत ऐसे सूर्य को अपने अन्दर समाये हुए है, जो हमारे सूर्य से भी कई हजार और लाख गुना बड़े है।

इसीलिए आज की लेख में हम आपको उसके बारे में थोड़ी जानकारी देने का प्रयास करेंगे। आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि अंतरिक्ष क्या है, अंतरिक्ष कैसा है, और अंतरिक्ष में जीवन की खोज के ऊपर किस प्रकार के अध्ययन किए जा रहे हैं, अंतरिक्ष में मानव का इतिहास क्या है, तथा इसके साथ अब आपको यह भी बताएँगे कि भारतीय अंतरिक्ष संगठन इसरो क्या है, वह किस प्रकार कार्य करता है।

आज का लेख बहुत ही व्यापक रूप से अंतरिक्ष से संबंधित सभी आयामों को आप को समझाने के लिए उत्तरदाई होगा।

अंतरिक्ष क्या है? (What is Space in hindi)

अंतरिक्ष वह स्थान है जहां पर ब्रह्मांड के सारे अंग जैसे की तारे, सितारे, ग्रह, उपग्रह और अन्य कई सूक्ष्म विराजमान है, अंतरिक्ष में झूलते यह सभी कण अंतरिक्ष के ही हिस्से हैं। अंतरिक्ष यदि हम किसी परिभाषा में परिभाषित करना चाहे तो इसका परिभाषण यह होगा एक पृथक तत्व से दूसरे पृथक तत्व के बीच की दूरी को अंतरिक्ष कहा जाता है

इसको हम इस उदाहरण से भी समझ सकते हैं कि पृथ्वी और मंगल ग्रह के बीच में जो दूरी है इसे हम अंतरिक्ष से कह सकते हैं। अंतरिक्ष का शाब्दिक अर्थ “अंतर में स्थित रिक्त स्थान” होता है और इसी अंतर में स्थित रिक्त स्थान को अंतरिक्ष कहा जाता है।

अंतरिक्ष दिखने में कैसा है? (Hows pace islooks like?)

अंतरिक्ष दिखने में पारदर्शी है और अनंत दिशाओं में फैला हुआ है, अंतरिक्ष अपने अंदर कई ब्रह्मांड को समाए हुए हैं, अंतरिक्ष में कई आकाशगंगा है, कई सौरमंडल लाखों की गणना में उपस्थित है। अंतरिक्ष अत्यंत ही विशाल है। अंतरिक्ष में हर समय कई ब्रह्मांड नष्ट होते है और दूसरा ब्रह्मांड पैदा होता है।

एक ग्रह और दूसरे ग्रह में पैदा होने तथा नष्ट होने का समय अत्यंत ही सूक्ष्म है, अंतरिक्ष में हर समय कई ऐसे पल आते हैं जो कई हजारों या फिर लाखों-करोड़ों वर्षों में इंसान के द्वारा देखे जाते हैं और ऐसे पल हर समय अंतरिक्ष में घटते रहते हैं।

लेकिन यदि हम अंतरिक्ष को देखने की कोशिश करें तो एक तत्वों से दूसरे तत्वों के बीच की दूरी को देखा जा सकता है, लेकिन उस दूरी में स्थित खालीपन को नहीं देखा जा सकता है, और उसी खालीपन को अंतरिक्ष कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अंतरिक्ष हर दिशाओं में प्रकाश की गति से बढ़ रहा है। और यह हर समय से बढ़ रहा है। तथा कई करोड़ों और अरबों वर्षों से यह ऐसे ही बढ़ता जा रहा है।

अंतरिक्ष को दूर से देखने में इसमें बिल्कुल अंधेरापन दिखता है, लेकिन विभिन्न प्रकार के ग्रहों और तारों की रोशनी में तथा महान सूर्य के प्रकाश में हम कई ग्रहों को देख सकते हैं। यदि सूर्या जैसे तारे न हो तो इस अंधेरे अंतरिक्ष में कोई भी ग्रह दिखाई नहीं देगा। जो अंधेरा पृथ्वी पर रात के समय बिना चांद के होता है, वही अंधेरा अंतरिक्ष में होता है।

अंतरिक्ष के रहस्य

• अंतरिक्ष का एक रहस्य है कि अंतरिक्ष मुख्य रूप से पृथ्वी के तकरीबन 100 किलोमीटर ऊपर से शुरू होता है और इस 100 किलोमीटर के मध्य हमारा वातावरण मंडल होता है जिसे हम वायुमंडल के कहते हैं।

• अंतरिक्ष में किसी भी प्रकार की हवा नहीं होती, उसने केवल वेक्यूम होता है अर्थात अंतरिक्ष एक निर्वात है। इसमें किसी भी प्रकार की ध्वनि को विचरण करने का मार्ग नहीं मिलता है, इसीलिए इसे निर्वात कहा जाता है।

• जब अंतरिक्ष में कई ग्रह आपस में फट जाते हैं तो उसकी आवाज पृथ्वी तक नहीं आती, क्योंकि आवाज आने के लिए वायु का होना आवश्यक है। और यदि वायु ना हो तो ध्वनि विचरण नहीं कर सकती है। इसी लिए अंतरिक्ष में घटने वाली घटनाओं की ध्वनियां अक्सर पृथ्वी तक नहीं आती है।

• हमारे अंतरिक्ष में हर प्रकार के ग्रह, उपग्रह, उल्कापिंड, एक्सिस बैंक नक्षत्र, तारे, ब्लैक होल, मैग्नेटिक फील्ड, धूल के कण, और विभिन्न प्रकार की गैस से उपस्थित हैं।

• अंतरिक्ष पृथ्वी से देखने में जितना प्यारा लगता है में उतना ही खतरनाक भी है। अंतरिक्ष में भयानक रेडिएशन भी उपलब्ध होता है, जैसे कि इंफ्रारेड, कॉस्मिक रे, और मैग्नेटिक फील्ड, तथा अल्ट्रावॉयलेट जैसी किरणें जो मानव शरीर को पूर्ण रूप से क्षत-विक्षत कर सकती है, अंतरिक्ष में उपस्थित होती है। अंतरिक्ष के लिए मानव किसी भी प्रकार से विशेष नहीं है।

• हम यह जानकर खुश हो सकते हैं कि अंतरिक्ष के संदर्भ में हम मानव तथा अन्य जीव, पशु, पक्षी सभी एक जैसे हैं। तथा हम सभी अंतरिक्ष के हिस्से हैं।

• अंतरिक्ष हमें काले रंग का दिखाई देता है क्योंकि यहां पूर्ण रूप से अंधेरा है।

• अंतरिक्ष में प्रकाश केवल बड़े तारों और उससे भी बड़े ग्रहों के कारण होता है।

• कहा जाता है कि प्रकाश 1 सेकंड में 3,00,000 किलोमीटर की दूरी तय करता है, और प्रकाश जब 1 वर्ष में कोई दूरी तय करता है तो उसे तय की गई दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहा जाता है। तथा अंतरिक्ष अरबों प्रकाश वर्ष से भी कई गुना ज्यादा बढ़ा और बड़ा है। अंतरिक्ष को प्रकाश वर्ष से भी मापना असंभव है।

• अंतरिक्ष में अनंत ब्रह्मांड स्थित है, जिनकी गणना करी नहीं जा सकती, और ब्रह्माण्ड में करोड़ों आकाशगंगायें उपस्थित हैं, और उन करोड़ों आकाशगंगाओं में अरबों की तादाद में ग्रह उपग्रह तारे सितारे तथा अन्य कई सूर्य सौरमंडल उपस्थित हैं। जिनकी गणना करना असंभव है।

अंतरिक्ष में जीवन की खोज पर मानव का योगदान-

अंतरिक्ष (space) में जीवन की खोज के ऊपर मानव ने अपना काफी योगदान दिया है। पिछले 300 वर्षों से तथा इस से भी पिछले कई वर्षों में मानव ने अंतरिक्ष में अपनी पहुंच बढ़ाने का काम किया है। खगोल विज्ञानी गैलीलियो के समय से अंतरिक्ष में ग्रहों को देखा जा रहा है, तथा उपग्रहों की चाल को समझा जा रहा है, और इसी आधुनिक युग के शुरुआत में टेलिस्कोप का निर्माण हुआ था।

टेलिस्कोप के निर्माण के बाद में मानव ने कई बार अंतरिक्ष में प्रवेश किया है, तथा अपने महान उपकरणों से अंतरिक्ष के कई ग्रहों का पूर्ण अध्ययन भी किया है।

इसी बीच कई बार उड़न-तश्तरी जैसे शब्दों को हमने महसूस किया है, तथा कई जगहों पर उड़न-तश्तरी जैसे विमानों को देखा गया है। जिसमें इंसानों के होने की संभावना नगण्य है, तथा यह माना जाता है कि इस ब्रह्मांड में मानव अकेले नहीं है, तथा पृथ्वी पर जीवन अकेला नहीं है।

ब्रह्मांड में और भी कई जगह पर जीवन उपस्थित है तथा वे सभी एक दूसरे को खोजने में लगे हुए हैं, जिस प्रकार हम दूसरे ग्रहों पर जीवन को खोजने में लगे हैं। उसी प्रकार अन्य ग्रहों पर भी जीवन को खोजा जा रहा है, और इसीलिए मानव अंतरिक्ष में जीवन की खोज के लिए प्रयासरत है।

अंतरिक्ष में मानव (Man in space)

अंतरिक्ष में मानव ने पहली बार कदम 12 अप्रैल 1961 में रखा था, जहां रूस के पायलट यूरी अलेक्साविच गगारिन ने पृथ्वी के बाहरी अंतरिक्ष में एक घंटा और 48 मिनट बिताए थे। तथा यूरी गगारिन ने अंतरिक्ष में पृथ्वी का एक orbit पूरा किया था।

यह पहली बार था जब मानव ने अंतरिक्ष में कदम रखा था। इन्होंने जिस कैप्सूल में बैठ कर के यह एक ऑर्बिट पूरा किया था, उस कैप्सूल का नाम वोस्तोक-1 था। वोस्तोक-1 ने यूरी गगारिन को अंतरिक्ष का सफर करने में मदद करी तथा उन्होंने अंतरिक्ष में अपने कैप्सूल से बाहर निकल कर के एक घंटा और 48 मिनट अंतरिक्ष में बिताए , जहां उन्होंने अंतरिक्ष के दबाव को महसूस किया।

अंतरिक्ष (Space) में अंधेरा क्यों रहता है।

अंतरिक्ष में अंधेरा इसलिए रहता है क्योंकि अंतरिक्ष में प्रकाश के भ्रमण के हेतु निश्चित वायु या अन्य गैसों का मार्ग नहीं है और इसके लिए वहां पर आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन भी नहीं है, और इसी के कारण बड़े ग्रहों तथा तारों की रोशनी में दूसरे ग्रह और तत्व प्रकाश ग्रहण करते हैं।

कुछ लोग सोचते हैं कि यदि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं होता, तो सूर्य का जो प्रकाश है जो कि अग्नि की वजह से होता है, तो अग्नि कैसे चल रही है? तो इसका जवाब भी है है कि सूर्य पर प्रचुर मात्रा में हाइड्रोजन मौजूद है, और वहां पर हर समय तकरीबन 20 से ज्यादा परमाणु विस्फोट होते हैं। और इसी के लिए सूर्य पर हर समय अगली मौजूद रहती है। और वह परमाणु विस्फोट के द्वारा निकली गई गर्मी पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों पर प्राप्त करी जाती है।

अंतरिक्ष में जाने के लिए क्या-क्या तैयारियां करनी पड़ती है?

अंतरिक्ष में जाने के लिए एक व्यक्ति को astronout बनाया जाता है, और एक astronout को वह सारी वस्तुएं अपने साथ रखनी होती है जो उसे पृथ्वी पर जिंदा रहने के लिए चाहिए होता है। जैसे कि ऑक्सीजन, खाना, पानी और अन्य कई सामान क्योंकि अंतरिक्ष में वह सब चीजें उपलब्ध नहीं होती है।

अंतरिक्ष में पूर्ण रूप से निर्वात होता है। अंतरिक्ष में श्वास लेने के लिए ऑक्सीजन भी नहीं होती है, इसीलिए एक एस्ट्रोनॉट को अपने साथ कई ऑक्सीजन के सिलेंडर रखने होते हैं।

इसी के साथ कुछ ड्राई फ्रूट तथा जमा हुआ खाना उन्हें अपने साथ रखना होता है, जो समय के साथ खराब नहीं होता। तथा उन्हें जमे हुए खाने के रूप में क्रेकर, फ्रूट इत्यादि मिलते हैं। और जमा हुआ खाना मुख्य रूप से ड्राई फ्रूट के रूप में पाया जाता है तथा अन्य कई खानों को जमाने की प्रक्रियायें शुरू करी जा रही है तथा विभिन्न प्रकार के आहार को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

एक astronout को अपने साथ में इन सभी चीजों के साथ में स्लीपिंग बैग भी चाहिए होता है जहां पर वह सोते हैं, क्योंकि कैप्सूल पर सोने के लिए अलग से जगह नहीं होती है।

अंतरिक्ष के भाग

अंतरिक्ष को चार भागों में विभाजित किया गया है और इनके नाम निम्नलिखित है-

  • Geo Space
  • इंटरप्लेनेटरी स्पेस
  • इंटरस्टेलर स्पेस
  • इंटरगैलेक्टिक स्पेस

भारतीय अंतरिक्ष संगठन ISRO (Indian Space Research Organization)

जब भारत ने अंतरिक्ष में जाने के लिए विचार किया था तब उस समय स्पेस रिसर्च के लिए बनाई गई इंडियन नेशनल कमिटी को 1962 में स्थापित किया गया था। और उस समय डॉक्टर विक्रम साराभाई ने इसमें अपना योगदान दिया था।

इसके बाद में 1969 में इंडियन स्पेस रिसर्च organization बना, तथा भारत के द्वारा अंतरिक्ष अनुसंधान में सही कदम उठाए जाने के लिए विक्रम साराभाई ने इसरो के रूप में भारत को नई दिशा प्रदान करी, और आज के समय इसरो ने 101 स्पेसक्राफ्ट मिशन लॉन्च किए हैं, जिसमें तीन नैनो सेटेलाइट और एक माइक्रो satelites भी है।

इसरों ने अब तक 72 satellites mission को लांच किया है, और 269 विदेशी सेटेलाइट को भी इसरो ने लॉन्च किया है। आज के समय इसरो विश्व की सबसे सफल space research organization बन चुकी है।

उपसंहार

तो आज के लेख में हमने space अर्थात अंतरिक्ष के बारे में लगभग सारी जानकारी जानकारी हासिल करी है। आज हमने जाना की अंतरिक्ष क्या होता है, कितने प्रकार का होता है, इसके कितने भाग होते है, इसके प्रति मानव का योगदान और अंतरिक्ष के कुछ रहस्यों से हमने आपको अवगत करवाया है।

हमने आपको बताया कि अंतरिक्ष में जीवन की खोज के ऊपर इंसान ने क्या किया है, अंतरिक्ष में इतना अँधेरा क्यों होता है, और अंतरिक्ष (space) में जाने के लिए कौन कौन सी तैयारिया करनी होती है।

आज के इस लेख में हमने अंतरिक्ष पर निबंध के बारे में जाना है और इससे सम्बंधित सभी मूलभूत जानकारी देने का प्रयास किया है। हम उम्मीद करते हैं आपको essay on space in hindi पढ़कर अच्छा लगा होगा। यदि पसंद आया हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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अंतरिक्ष पर निबंध से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर

Q. अंतरिक्ष की खोज किसने और कब की?

Ans. एडविन हबल ने 1889 में अंतरिक्ष की खोज करी थी और उनके नाम के आधार पर ही हबल टेलीस्कोप का नाम लिखा गया था, जिसने अंतरिक्ष को लेकर के लाखों ऐसी तस्वीरें भेजी है जो आज के समय अंतरिक्ष के प्रति समर्पित हमारे लक्ष्य को नई दिशा देता है।

Q. अंतरिक्ष के ऊपर क्या है?

Ans. ऐसा माना जाता है कि अंतरिक्ष का भारी स्थान पूर्ण रूप से खाली नहीं है, क्योंकि वहां एक पूर्ण निर्वात उपस्थित रहता है जिसमें कणों का घनत्व जरूर कम होता है, लेकिन हाइड्रोजन और हीलियम का प्लाज्मा भरपूर रूप से उपस्थित होता है। तथा वहां पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें और न्यूट्रिनों तथा धूल के कण बहुत बड़ी मात्रा में उपस्थित होते हैं।

Q. अंतरिक्ष में पहुंचने वाले प्रथम यात्री कौन है?

Ans. अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले यात्री रूस के यूरी गगारिन थे, उन्होंने 1961 में पहली बार अंतरिख में कदम रखा, वोस्तोक-1 के द्वारा अंतरिक्ष के बाहर 1 घंटे 48 मिनट के लिए उन्होने कदम रखा था, जहां उन्होंने निर्वात को महसूस किया था।

Q. पृथ्वी की अंतरिक्ष से दूरी कितनी है?

Ans. पृथ्वी की अंतरिक्ष (space) से दूरी तकरीबन 100 किलोमीटर की मानी जाती है, अर्थात पृथ्वी के धरातल से यदि 100 किलोमीटर तक ऊपर चला जाए तो पृथ्वी का वायुमंडल खत्म हो जाता है और अंतरिक्ष शुरू हो जाता है।

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